वाक्य विचार क्या है? वाक्य की परिभाषा क्या है? वाक्य के प्रकार को उदाहरण सहित विस्तार से समझते है –
वाक्य क्या है (Vakya Kya Hai)
वाक्य विभिन्न पदों या शब्दों का समुच्चय होता है जिसमें सभी पद अपना – अपना प्रथक अर्थ रखते हुये भी सामूहिक होकर एक मंतव्य प्रकट करते है| वाक्य व्याकरणिक संरचना की दृष्टि से सबसे बडी इकाई और भाषा व्यवस्था की दृष्टि से सबसे छोटी इकाई है यह आवश्यक नहीं है कि वाक्य में ढेर सारे पद हो कभी कभी एक या दो पदों से भी वाक्य पूरा हो जाता है
जैसे – पधारिये !
धन्यवाद !
यह कैसे है?
वाक्य की परिभाषा
Vakya ki Paribhasha – सार्थक शब्दों या पदों के व्यवस्थित समूह या समुच्चय है जो आपेक्षित अर्थ प्रकट करने की सामर्थ्य रखता है वाक्य कहलाता है
अच्छे वाक्य के गुण/लक्षण/तत्व
1. सार्थकता
वाक्य का कुछ न कुछ अर्थ अवश्य हो जिसमें सार्थक शब्दों का ही प्रयोग हो ध्यान रहे कि कभी कभी निरर्थक शब्द भी वाक्य में प्रयोग होकर सार्थक हो जाते है|
जैसे- चाय –वाय पिलाइये
काम दाम करो
2. योग्यता
वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में प्रसंग के अनुसार आपेक्षित अर्थ प्रकट करने की योग्यता होती है
जैसे – चाय खाई । जबकि चाय पी जाती है इसलिये यह वाक्य अशुद्ध है
3. आकांक्षा या उत्सुकता
आकांक्षा का अर्थ है – ‘इच्छा’ वाक्य अपने आप में पूरा होना चाहिये जिसमें किसी एसे शब्द की कमी न हो जिससे वाक्य की अभिवयक्ति में अधुरा पन लगे।
जैसे – पत्र लिखता है
“इसमें कर्ता को जानने की इच्छा हो रही है जैसे राम पत्र लिखता है यह वाक्य पूरा है। यह वाक्य का प्रमुख लक्षण है जिसमें प्रत्येक पद के पश्चात बाद वाले पद को जानने की इच्छा होती है।
जैसे- बापू एक आत्मा थे। इसमें आकांक्षा है कि बापू एक ‘महान’ आत्मा थें।
4.आसक्ति या निकटता
बोलते या लिखते समय वाक्य के शब्दों में निकटता होना चाहिये । रूक रूक कर लिखे गये या बोले गये शब्दों से वाक्य नहीं बनता है अत: वाक्य में निरंतर प्रवाह होना चाहिये ।
जैसे – स्त्रियां ………….. मंगल…….गीत .. गा.. रही ..है
स्त्रियां मंगल गीत गा रहीं है ।
यदि वाक्य में निकटता नहीं होती है तो अर्थ प्रकट करने में बांधा उत्पन्न होती है
5. व्यवस्थता या क्रमबद्धता
वाक्यों मं आये पदों का व्याकरण के अनुसार निश्चित क्रम होना चाहिये । यदि ऐसा नही है तो वाक्य अशुद्ध माना जायेगा जैसे-
‘ सुहावनी है रात होती चांदनी ‘ इस वाक्य में शब्द व्याकरण के अनुसार व्यवस्थित नहीं है इसलिये इसे वाक्य नहीं माना जायेगा इसका शुद्ध रूप – चांदनी रात सुहावनी होतीं हैं
6. अन्वय
अन्वय का अर्थ होता है मेल होना ‘ अर्थात वाक्य में लिंग , वचन, कारक, काल आदि का क्रिया के साथ उचित मेल होना चाहिये ।
जैसे — बालक और बालिकायें गई । — अशुद्ध
बालक और बालिकायें गये । — शुद्ध
रिचा पूरा रात नाचती रही । — अशुद्ध
रिचा पूरी रात नाचती रही । — शुद्ध
वाक्य के घटक / अंग:-
जिन अवयावों से मिलकर वाक्य की रचना होती है उन्हें वाक्य के घटक कहा जाता है वाक्य के घटक दो प्रकार के होतें है –
(अ.) अनिवार्य घटक – यह दो प्रकार के होतें है उद्वेश्य और विधेय
उद्वेश्य – वाक्य में जिसके बिषय में बताया जाता है उसे उद्वेश्य कहा जाता है यह कर्ता और कर्ता का विस्तार होता है जैसे – अनुराग खेलता है
इसमें अनुराग उद्वेश्य है जबकि खेलता है । विधेय है
जैसे – ईमानदार लोग अब कहां है ।
विधेय :- वाक्य में उद्वेश्य के बारे में जो कुछ बताया जाता है ।या जिसके बिषय में जो बताया जाता है उसे विधेय कहा जाता है जैसे – कार्यालय कल बंद रहेंगे ‘ इस वाक्य में ‘ कल बंद रहेंगे ‘ विधेय है जबकि कार्यालय उद्वदेय है ।
(ब.) एच्छिक घटक :- वे घटक जो अनिवार्य घटक नहीं होते है इन्हें निकाल देने पर वाक्य की व्याकरण शुद्धता पर कोई प्रभाव नहीं पडता है किन्तु प्रयोक्ता अपनी बात पर बल देने के लिये प्रयोग करता है या अपनी बात का अधिक स्पष्ट अर्थ प्रकट करने के लिये करता है|
जैसे – मैं अपके घर सूर्यास्त के पश्चात आउंगा
मैं आपके घर आउंगा
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वाक्य के भेद :-
वाक्य के भेदों को दो आधारों पर बांटा गया है जिसमें एक अर्थ के आधार पर और दूसरा रचना के आधार पर । अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होतें है जबकि रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होतें है
अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद :-
अर्थ के आधार पर वाक्य आठ प्रकार के होतें है ।
1. विधान वाचक – जिस वाक्य में क्रिया के होने या कार्य करने की सूचना मिले या बोध हो जाता हे उन्हैं विधान वाचक वाक्य कहा जाता है
उदारहण — वह आगरा जायेगा ।
मैंने फल खाये ।
वर्षा हो रही है ।
2. निषेदवाचक शब्द – जिन वाक्यों से क्रियाओं के कार्य न होने का बोध हो उसे निषेद वाचक वाक्य कहा जाता है
उदाहरण – मैंने फल नहीं खाये ।
उसमें प्रतिभा नहीं है ।
3. प्रश्न वाचक वाक्य – जिन वाक्यों से कोई न कोई प्रश्न पूछने का बोध होता है प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है
जैसे – आप कहां रहते हो ।
4. आज्ञावाचक वाक्य – जिन वाक्यों से आज्ञा , प्रार्थना , आदेश , अनुमति , निवेदन आदि का ज्ञान होता है उसे आज्ञावाचक वाक्य कहा जाता है ।
उदाहरण – आप जा सकेते हैं ।
कृपया मुझे सौ रूपये उदार दें
5. संदेह वाचक वाक्य – जिन वाक्यों से संदेह या संभावना व्यक्त होती है उसे संदेह वाचक वाक्य कहा जात है । उदाहरण – शायद आज ट्रेन आ सकती है ।
हो सकता है रामू आ जाये ।
6. इच्छा वाचक वाक्य – जिन वाक्यों से किसी न किसी रूप में इच्छा , कामना , आशीष , शुभ कामनाओं आदि का बोध होता है
उदाहरण —- आज में केवल फल खाउंगा ।
तुम्हारा कल्याण हो ।
भगवान तुम्हें लम्बी आयु दे ।
7. संकेत वाचक – जिन वाक्यों में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर करता हैं । तथा वाक्यों में क्रिया के बिषय में कोई न कोई शर्त होती है
उदाहरण – तुम पढोगे तो पास हो जाओगे ।
अगर वर्षा होगी तो फसल भी होगी ।
8. विस्मय वाचक – जिन वाक्यों से आश्चर्य , घ्रणा हर्ष शोक , भय, क्रोध आदि भावों का बोध होता है । वे वाक्य विस्मय वाचक कहलातें हैं।
उदाहरण — अरे ! राम
रचना के आधार पर वाक्य के भेद –
रचना के आधार पर वाक्य तीन प्रकार के होतें है –
- सरल वाक्य
- संयुक्त वाक्य
1. सरल वाक्य – जिन वाक्यों में केवल एक ही क्रिया होती है सरल वाक्य कहा जाता है जबकि इसमे विधेय भी एक ही होता है उद्वेश्य में कर्ता एक या एक से अधिक हो सकते है लेकिन विधेय एक ही होगा |
जैसे – रचना नृत्य करती है
मोहन और सोहन बाजार जाते हैं
अर्थात एक ही क्रिया या एक ही क्रिया का विस्तार होता है । जैसे — राम अपने घर से आया ‘’ इसमें आया क्रिया है । जबकि ‘ अपने घर से ‘ क्रिया का विस्तार है
2. संयुक्त वाक्य – जिन वाक्यों में दो या दो से अधिक उपवाक्य योजक शब्दों द्वारा जुडें होतें है । लेकिन वे आपस में स्वतंत्र एवं सरल होतें है समुच्चय बोधक योजकों का प्रयोग किया गया हो । इसमें उपवाक्य समान स्तर के होतें है
जैसे – राम आया और मेरे पास बैठ गया ।
वह आया और चला गया ।
समुच्चय बोधक योजक—और , तथा, एवं, या , परंतु , न…….न , या ……या , अथवा , इसलिये , अत: , फिर भी , तो , नहीं तो, लेकिन , पर
3. मिश्र वाक्य – ऐसे वाक्य जिनमें एक उपवाक्य मुख्य या प्रधान होता है अन्य उपवाक्य आश्रित या गौण होते हैं । इसमें एक उद्वेश्य और एक विधेय के अलावा एक से अधिक समाि पका क्रिया होती हैं इन उपवाक्यों केा जोडने वाले समुच्य बोधक शब्द —
कि , ताकि, क्यौकि, जैसा कि, ज्योंही , जबतक ,
जहां तक , जहां, भले ही , जो , जिसे , जिनका ,
जिन्हें
जो ……………………………………………………..वह
जितना ……………………………………………उतना
जब…………………………………………तब
जैसा …………………………………………………वैसा
जहां ……………………………………………………वहां
जिधर …………………………………………………उधर
अगर / यदि ………………………………………… तो