दृष्टांत अलंकार की परिभाषा, उदाहरण सहित | Drishtant Alankar

दृष्टांत अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण | Drishtant Alankar

दृष्टांत अलंकार किसे कहते है?

दृष्टांत अलंकार की परिभाषा : पहले कही हुई किसी बात को स्पष्ट करने के लिए उससे मिलती-जुलती दूसरी बात कही जाए, तब ‘दृष्टांत अलंकार’ होता है।

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दृष्टांत अलंकार के उदाहरण Drishtant Alankar ke Udaharan

उदाहरण :- 1. सठ सुधरहिं सत संगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई।।

2. पापी मनुज भी आज मुख से, राम नाम निकालते

3. एक म्यॉन में दो तलवारें कभी नहीं रह सकती हैं। किसी और पर प्रेम नारियाँ पति का क्या सह सकती हैं?

जब दो वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव हो, तो अलंकार होगा-

(a) प्रतिवस्तूपमा
(b) दृष्टान्त
(c) पुनरुक्तिप्रकाश
(d) उपमा उत्तराखण्ड P.G.T. (परीक्षा)-2020

उत्तर-(b)
जब दो वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव हो, तो वहाँ दृष्टान्त अलंकार होता है।
जैसे- सठ सुधरहिं सत संगति पाई।
पारस परस कुधात सुहाई।। यहाँ सठ का सुधरना वैसा ही
है, जैसे पारसमणि के स्पर्श से
कुधातु का चमकना।

पापी मनुज भी आज मुख से, राम नाम निकालते- इस काव्य-पंक्ति में अलंकार है-

(a) उदाहरण
(c) दृष्टान्त
(b) विरोधाभास
(d) विभावना UPSSSC कनिष्ठ सहायक परीक्षा, 2015

उत्तर-(c) प्रस्तुत पंक्ति में दृष्टान्त अलंकार है। जहाँ दो कथनों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब का भाव हो अर्थात् पहले एक बात कहकर फिर उससे मिलती-जुलती

उदाहरण – जपत एक हरिनाम के पातक कोटि बिलाय।

               लघु चिनगारी एकते घास ढेर जरि जाय।।

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उत्प्रेक्षा अलंकारव्यतिरेक अलंकारविभावना अलंकार
अतिशयोक्ति अलंकारउल्लेख अलंकारसंदेह अलंकार
भ्रांतिमान अलंकारअन्योक्ति अलंकारअनंवय अलंकार
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