अलंकार की परिभाषा, भेद और उपभेद उदाहरण सहित समझें | Alankar in Hindi

Alankar in Hindi Grammar की इस पोस्ट में अलंकार की परिभाषा, अलंकार के भेद एवं उदाहरण का कांसेप्ट बहुत ही अच्छी तरह से समझाया गया है | Alankar की इस पोस्ट में शब्दालंकार, अर्थालंकार तथा उभयालंकार के प्रकार (यमक अलंकार, श्लेष अलंकार, उपमा अलंकार, रूपक अलंकार, प्रतीप अलंकार, उत्प्रेक्षा अलंकार,व्यतिरेक अलंकार, विभावना अलंकार, अतिशयोक्ति अलंकार, ब्याज निंदा/स्तुति अलंकार, विरोधाभास आदि अलंकार) को उदाहरण सहित समझाया गया है –

अलंकार की परिभाषा, प्रकार उदाहरण सहित

1. अलंकार किसे कहते है? – Alankar in Hindi

अलंकार की परिभाषा( Alankar ki paribhasha ) – अलंकार का शब्द का अर्थ है –  अलम + कार अर्थात अलंकृत करने वाला या “अलंकरोति इति अलंकार:” अर्थात जो अलंकृत करें  अर्थात शोभाकारक पदार्थ को ‘अलंकार कहते है| जिस प्रकार व्यवहारिक जीवन में सुन्दर वस्त्र, स्वर्ण, और रत्नजड़ित आभूषण शरीर को अलंकृत करते है, उसी प्रकार काव्य को अलंकृत करने वाले शब्दार्थ की रचना को काव्य में अलंकार कहते है|

अलंकार का शाब्दिक अर्थ है– सजावट, श्रंगार, आभूषण  आदि| 

साहित्त्य में अलंकार का प्रयोग काव्य की सुंदरता बढ़ाने के लिए  होता है| अर्थात जिस प्रकार आभूषण पहनने से व्यक्ति का शारीरिक सौंदर्य और आकर्षण बढ़ जाता है, उसी प्रकार काव्य में अलंकारों के प्रयोग से उसके सौंदर्य में वृद्धि होती है| अतः कहा गया है, “काव्यशोभाकरान धर्मालंकारान प्रचक्षते” अर्थात काव्य की शोभा बढ़ाने वाले धर्म ‘अलंकार’ कहलाते है|

हिंदी के प्रसिद्ध कवि केशव ने अलंकारों को काव्य का अनिवार्य गुण माना है उन्होंने कहा है –

“जदपि सुजाति सुलच्छनी, सुबरन सरस सुवृत|

भूषन बिनु न बिराजई, कविता बनिता मित्त” ||

2.अलंकार के प्रकार (Type of Alankar)

अलंकार मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं लेकिन एक तीसरा भेद भी होता है-

  1. शब्दालंकार (Shabd Alankar)  
  2. अर्थालंकार (Artha Alankar)
  3. तथा एक अन्य अलंकार उभया अलंकार (Ubhaya Alankar) भी होता है|
अलंकार की परिभाषा, भेद, कई उदाहरण सहित
अलंकार के प्रकार

1.- शब्दालंकार किसे कहते है? – 

शब्दालंकार की परिभाषा – जहाँ काव्य में विशिष्ट शब्दों के प्रयोग के कारण सौंदर्य या चमत्कार आ जाता है, वहां शब्दालंकार होता है|  अर्थात काव्य के धर्म, जो शब्दों के प्रयोग से कविता में चमत्कार उत्पन्न करते है और उसके सौंदर्य में वृद्धि करते है शब्दालंकार कहलाते है।

उदाहरण -: वह बांसुरी की धुन कानि परै, कुल-कानि हियो तजि भाजत है|

व्याख्या – उपर्युक्त उदाहरण की काव्य पंक्तियों में ‘कानि’ शब्द की आवृति दो बार हुई है। जिसमें पहले ‘कानि’ का अर्थ है – कान और दूसरे ‘कानि’ का अर्थ है – मर्यादा। इस प्रकार एक ही शब्द के प्रयोग से दो भिन्न-भिन्न अर्थ देकर चमत्कार या सौंदर्य आ रहा है।

उदाहरण:- “सेस  महेस गनेस  दिनेस सुरेसहु जाहि निरंतर गावै”

उदाहरण:- “तुलसी मन रंजन रंजित अंजन नैन सुखजन जातक से ऊपर उद्धस्त”।

शब्दालंकार के भेद :- Type of Shabdalankar
  1. अनुप्रास अलंकार (Anupras Alankar)
  2. यमक अलंकार (Yamak Alankar)
  3. श्लेष अलंकार (Shlesh Alankar)
  4. पुनरुक्ति अलंकार (Punrukti Alankar)
  5. वक्रोक्ति अलंकार (Vakroti Alankar)
  6. वीप्सा अलंकार (Veepsa Alankar)

यह भी पढ़ें:- हिंदी समास (What is Samas), परिभाषा, भेद एवं उदाहरण

1. अनुप्रास अलंकार किसे कहते है?

परिभाषा :- वर्णों की आवृत्ति को अनुप्रास अलंकार कहते हैं| जहाँ वर्ण या वर्णों के समूह की एक से अधिक बार आवृति होने से काव्य पंक्ति में चमत्कार उत्पन्न होता है, वहां अनुप्रास अलंकार होता है। किसी वर्ण या वर्ण के समूह का एक से अधिक बार आना आवृत्ति है |

उदाहरण – ककानन कुण्डल मोर पंखा, उर पे नमाल बिराजति है।

व्याख्या – उपर्युक्त उदाहरण में ‘क’ वर्ण की आवृति 3 बार तथा ‘ब’ वर्ण की आवृति 2 बार होने से काव्य-पंक्ति में चमत्कार उत्पन्न हो गया है।

अनुप्रास अलंकार Anupras Alankar मुख्यतः 5 प्रकार के होते है –

  1. छेकानुप्रास अलंकार (Chhekanupras Alankar)
  2. वृत्यनुप्रास अलंकार (Vratyanupras Alanakar)
  3. श्रुत्यानुप्रास अलंकार (Shrutyanupras Alankar)
  4. लाटानुप्रास अलंकार (Latanupras Alankar)
  5. अन्त्यानुप्रास अलंकार (Antyanupras Alankar)
I. छेकानुप्रास अलंकार(Chhekanupras Alankar)

परिभाषा:- वर्ण की केवल दो बार आवृत्ति

उदहारण:- 1  इस रुणा लित हृदय में

              क्यों विकल रागिनी बजती है|

उदाहरण:- 2 आप जो मेरे मीत ना होते

             होठों पर मेरे गीत ना होते

Note : छेकानुप्रास अलंकार(Chhekanupras Alankar) के उपर्युक्त सभी उदाहरणों में वर्ण की केवल दो बार आवृति हुयी है| अर्थात छेकानुप्रास अलंकार में वर्णो की केवल दो बार आवृति होती है|………..और पढ़ें

II. वृत्यनुप्रास अलंकार(Vratyanupras Alanakar)

  परिभाषा:- एक ही वर्ण (व्यंजन) की कई बार आवृत्ति

उदा.-1 चमक गई पला 

उदा.-2 चंदन ने मेली को म्मच से चॉकलेट टाई 

Note : वृत्यनुप्रास अलंकार(Vratyanupras Alankar) के उपर्युक्त लिखे सभी उदाहरणों में वर्णों की बार बार आवृत्ति हुयी है अर्थात वृत्यनुप्रास अलंकार में एक ही वर्ण की कई बार आवृत्ति होती है|………..और पढ़ें

III. श्रुत्यानुप्रास अलंकार(Shrutyanupras Alankar)

परिभाषा:- एक वर्ग के व्यंजन (य र ल व् )

उदाहरण – 1 ता दिदादीन्ह नी

Example – 2  तुलसीदास सीदत निशदिन देखत तुम्हारी निठुराई 

उदा.- 3 ठोकर डमरू टिमकी ढोल 

उदा.- 4  दीदी तेरा देवर दीवाना

Note : श्रुत्यानुप्रास अलंकार (Shrutyanupras Alankar) के उपर्युक्त लिखे Example में एक ही वर्ग व्यजन के कई वर्ण एक साथ आये है अर्थात श्रुत्यानुप्रास Alankar में एक ही वर्ग के कई व्यंजन का एक साथ प्रयोग होता है|

IV. लाटानुप्रास अलंकार (Latanupras Alankar)

परिभाषा:- शब्द रिपीट लगभग 70% (दूसरी बार वाक्य का अर्थ बदल जायेगा)

उदा.- 1 मांगी नाव, न केवट आना

            मांगी नाव न, केवट आना| 

और पढ़ें : लाटानुप्रास अलंकार की परिभाषा और कई उदाहरण तथा व्याख्या

V. अन्त्यानुप्रास अलंकार (Antyanupras Alankar)

परिभाषा:- अंतिम वाक्य के शब्द में तुक होगी| 

उदा.- 1 तुझे देखा तो जाना सनम

            प्यार होता है दीवाना सनम

उदाहरण – 2 एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा जैसे खिलता गुलाब

उदा.- 3  जिसने हम सब को बनाया वात की बात में कर दिखाया

Example – 4 जय हनुमान ज्ञान गुण सागर

              जय कपीस तिहुं लोक उजागर

उदा.- 5  लगा दी किसने आकर आग

             कहां था तू संशय का नाग 

उदा.- 6  नाथ शंभू धनु भंजन हारा

              हुआ है कोई एक दास तुम्हारा| 

2. यमक अलंकार किसे कहते है?

यमक अलंकार की परिभाषा – जिस अलंकार में एक ही शब्द की आवृत्ति बार-बार हो और उसके अर्थ हर बार भिन्न हो, वहां यमक अलंकार होता है|

उदाहरणकनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय|

बा खाय बौरात नर, या पाए बौराय||

व्याख्या – उपर्युक्त उदाहरण में ‘कनक‘ शब्द दो बार आया है दोनों बार शब्द में स्वर तथा व्यंजन समान है परन्तु अर्थ भिन्न है| एक ‘कनक’ का अर्थ ‘सोना’ एवं दूसरे कनक शब्द का अर्थ ‘धतूरा’ है| एक कनक (सोना) को प्राप्त करके नर ख़ुशी से बौराय जाता है जबकि दूसरे कनक (धतूरा) को खाकर आदमी पागल हो जाता है अर्थात दोनों ही स्थिति में मनुष्य बौराय जाता है| इस प्रकार जिस अलंकार में एक ही शब्द के भिन्न-भिन्न अर्थ निकले तब उसे यमक अलंकार कहते है|

Read More: यमक अलंकार के अन्य उदाहरण यहाँ से पढ़ सकते है।

3. श्लेष अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
4. पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित

परिभाषा – “जहाँ एक ही शब्द की आवृति दो या अधिक बार हो और प्रत्येक बार उसका अर्थ वही हो और ऐसा होने से अर्थ में रुचि बढ़ जाये, वहां पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार होता है.”

उदाहरण – 1. “ठौर ठौर विहार करती सुन्दर सुर-नारियाँ “

व्याख्या – उपर्युक्त पुनरुक्ति अलंकार उदाहरण में ‘ठौर’ शब्द दो बार आया है और दोनों बार एक ही अर्थ निकलता है.

उदाहरण – 2. “शांत सरोवर का उर, किस इच्छा से लहरा कर हो उठता चंचल-चंचल”

व्याख्या – इस उदाहरण ‘चंचल‘ शब्द की दो बार आवृति हुई है दोनों बार अर्थ वही है.

5. वक्रोक्ति अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित

वक्रोक्ति अलंकार परिभाषा: जब किसी बात पर वक्ता और श्रोता के बीच में किसी उक्ति के सम्बन्ध में भिन्नता का आभास हो अर्थात वक्ता कोई और बात कहता है और श्रोता उसका मतलब किसी अन्य अर्थ में निकल लेता है तब वहाँ, वक्रोक्ति अलंकार होता है।

वक्रोक्ति अलंकार के उदहारण –

Udaharan-1. कौन द्वार पर राधे में हरि।
क्या वानर का काम यहाँ।।

व्याख्या :- उपर्युक्त उदाहरण में एक बार कृष्ण राधा से मिलने जाते है जब वो दरवाजे पर पहुचंते है तो राधा बोलती है कौन तो कृष्ण कहते है ‘मैं हरि’ राधा इसका अर्थ ‘वानर’ निकाल लेती है और कहती है वानर का यहाँ पर क्या काम। इस प्रकार जब कहने वाला कुछ और कहता है और सुनने वाला उसका कुछ और अर्थ निकाल लेता है तब वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है. अन्य उदाहरण देखते है –

Udaharan-2. को तुम हो इत आए कहां
घनश्याम हो तो कितहूँ और बरसों।

6. वीप्सा अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित

परिभाषा – -जहाँ किसी आकस्मिक भाव (घृणा, आदर, हर्ष, शोक, विस्मय आदि)) को प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने के लिए एक शब्द को अनेक बार दोहराया जाता है, वहां वीप्सा अलंकार होता है।

वीप्सा अलंकार के उदाहरण –

अमर्त्य वीर पुत्र हो,
दृढ प्रतिज्ञा सोच लो,
प्रशस्त पथ है,

बढ़े चलो बढ़े चलो |

व्याख्या – उपर्युक्त उदाहरण में ‘बढ़े चलो बढ़े चलो’ शब्द की आवृति हुयी है।

उदाहरण – 2. हा! हा! इन्हे रोकन को टोकन लगावौ तुम विसद-विवेक-ज्ञान गौरव दुलारे है.

व्याख्या – हा शब्द की आवृति 2 बार हुई है जिसमें गोपियों की विरह-दशा की व्यंजना हुई है.

उदाहरण – 3. ‘राम! राम! यह मौत बहुत बुरी हुई |’

2. अर्थालंकार की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण सहित

अर्थालंकार की परिभाषा काव्य में जहाँ शब्दों के प्रयोग के कारण सौंदर्य या चमत्कार नहीं बल्कि अर्थ की विशिष्टता के कारण सौंदर्य या चमत्कार आया हो, वहां अर्थालंकार होता है|

उदाहरण नील कमल-सी मुख-प्रभा, सरस सुधा-से बोल|

अर्थालंकार के प्रकार
  1. उपमा अलंकार
  2. प्रतीप अलंकार
  3. रूपक अलंकार
  4. उत्प्रेक्षा अलंकार
  5. व्यतिरेक अलंकार :- जब छोटे को बड़े से श्रेष्ठ बताया जाता है और उसका कारण भी दिया जाता है अर्थात जब उपमेय को उपमान की अपेक्षा बढ़कर बताया जाता है, तब वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है। व्यतिरेक अलंकार के उदाहरण
  6. विभावना अलंकार
  7. अतिशयोक्ति अलंकार
  8. उल्लेख अलंकार
  9. संदेह अलंकार
  10. भ्रांतिमान अलंकार
  11. अन्योक्ति अलंकार
  12. अनंवय अलंकार
  13. दृष्टांत अलंकार
  14. अपँहुति अलंकार
  15. विनोक्ति अलंकार
  16. व्याज स्तुति अलंकार
  17. ब्याज निंदा अलंकार
  18. विरोधाभास अलंकार
  19. अत्युक्ति अलंकार
  20. समासोक्ति अलंकार
  21. मानवीकरण अलंकार
  22. विशेषोक्ति अलंकार

हिंदी व्याकरण के Alankar in Hindi (अलंकार) के इस लेख में अलंकार की परिभाषा सहित अलंकार के भेद, शब्दालंकार तथा अनुप्रास अलंकार के सभी भागों को उदाहरण सहित अच्छी तरह से समझाया गया है| अगर हिंदी व्याकरण अलंकार के इस लेख को एक बार में पढ़कर कुछ कम समझ आया है तो एक बार अलंकार की इस post को फिर से जरूर पढ़ें मुझे विशवास है कि आपको अलंकार (अनुप्रास अलंकार का भाग सहित) का फुल कांसेप्ट हमेशा के लिए समझ आ जायेगा और आप एग्जाम में उदाहरण देखकर आप सही उत्तर पर टिक कर पाओगे।

अलंकार कितने प्रकार के होते हैं और उनकी परिभाषा?

 हिंदी मे मुख्य रूप से सात अलंकार होते है । जिनके नाम इस प्रकार है अनुप्रास, उपमा, यमक, रूपक, श्लेष,अतिशयोक्ति और उत्प्रेक्षा अलंकार।

अलंकार की परिभाषा ( Alankar ki paribhasha )

अलंकार का शब्द का अर्थ है –  अलम + कार अर्थात अलंकृत करने वाला या “अलंकरोति इति अलंकार:” अर्थात जो अलंकृत करें  अर्थात शोभाकारक पदार्थ को ‘अलंकार कहते है| जिस प्रकार व्यवहारिक जीवन में सुन्दर वस्त्र, स्वर्ण, और रत्नजड़ित आभूषण शरीर को अलंकृत करते है, उसी प्रकार काव्य को अलंकृत करने वाले शब्दार्थ की रचना को काव्य में अलंकार कहते है|

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