व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण – vyatirek alankar ki paribhasha

व्यतिरेक अलंकार (Vyatirek Alankar) की परिभाषा, उदाहरण

व्यतिरेक अलंकार किसे कहते है? या व्यतिरेक अलंकार का अर्थ-

व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा एवं उदाहरण

व्यतिरेक अलंकार की परिभाषा (vyatirek alankar ki paribhasha) : जब छोटे को बड़े से श्रेष्ठ बताया जाता है और उसका कारण भी दिया जाता है अर्थात जब उपमेय को उपमान की अपेक्षा बढ़कर बताया जाता है, तब वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।

उदाहरण – (i) साधु ऊँचे शैल सम, प्रकृति सुकुमार।

(ii) ‘मुख है अम्बुज सो सही, मीठी बात विसेखी’

(iii) ‘रघुवर जस प्रताप के आगे। चन्द मन्द, रवि तापहिं त्यागे’।।

(iv) “जन्म सिन्धु पुनि बन्धु विषु, दिन मलीन सकलंक। सिय मुख समता पाव किमि चन्द बापुरो रंक।।”

(v) सम सुबरन सुखमाकर, सुखद न थोर। सीय अंग सखि कोमल, कनक कठोर ।।

आप यह अलंकार भी पढ़ सकते है-

अनुप्रास अलंकारयमक अलंकारश्लेष अलंकार
पुनरुक्ति अलंकारवक्रोक्ति अलंकारवीप्सा अलंकार
उपमा अलंकारप्रतीप अलंकाररूपक अलंकार
उत्प्रेक्षा अलंकारव्यतिरेक अलंकारविभावना अलंकार
अतिशयोक्ति अलंकारउल्लेख अलंकारसंदेह अलंकार
भ्रांतिमान अलंकारअन्योक्ति अलंकारअनंवय अलंकार
दृष्टांत अलंकारअपँहुति अलंकारविनोक्ति अलंकार
ब्याज स्तुति अलंकारब्याज निंदा अलंकारविरोधाभास अलंकार
अत्युक्ति अलंकारसमासोक्ति अलंकारमानवीकरण अलंकार

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