प्रतीप अलंकार की परिभाषा और 15 उदाहरण | Prateep Alankar

प्रतीप अलंकार, परिभाषा तथा उदाहरण

प्रतीप अलंकार की परिभाषा –

परिभाषा – प्रतीप का अर्थ है – “उल्टा” या विपरीत | जहाँ बड़े को छोटा और छोटे को बड़ा बताया जाता है, अर्थात जब उपमेय को उपमान और उपमान को उपमेय बना दिया जाता है, तब वहाँ Prateep Alankar होता है।

यह उपमा अलंकार का उल्टा होता है क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या नीचा दिखाया जाता है और उपमेय को श्रेष्ट बताया जाता है।

उदाहरण – सिय मुख समता किमि करै चंद वापुरो रंक।

इस उदाहरण में सीताजी के मुख (उपमेय) की तुलना बेचारा चन्द्रमा (उपमान) नहीं कर सकता। उपमेय (सीताजी) को श्रेष्ठ बताया है इसलिए यह प्रतीप अलंकार है।

प्रतीक अलंकार के 15 उदाहरण

1. चन्द्रमा मुख के समान सुंदर है।

2. गर्व करउ रघुनंदन घिन मन माँहा। देखउ आपन मूरति सिय के छाँहा।।

जग प्रकाश तब जस करै। बृथा भानु यह देख।।

4. उसी तपस्वी से लंबे थे, देवदार दो चार खड़े ।

5. ‘अति उत्तम दृग मीन से कहे कौन विधि जाहि !

6. काहे करत गुमान ससि! तव समान मुख मंजु।

7. ‘दृग आगे मृग कछु न ये !’

8. मुख आलोकित जग करै, कहो चन्द केहि काम?

9. ‘लोचन से अंबुज बने मुख सो चंद्र बखानु !

10. तीछन नैन कटाच्छ तें मंद काम के बान !

11. बहुत विचार कीन्ह मन माहीं, सीय वदन सम हिमकर नाहीं।

12. सखि! मयंक तव मुख सम सुन्दर।

13. गरब करति मुख को कहा चंदहि नीकै जोई !’

14. “नेत्र के समान कमल है”।

15. “जिनके यश प्रताप के आगे, शशि मलीन रवि शीतल लागे” ॥

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2 Comments

  1. Vinod Kumar Singh says:

    अद्वितीय प्रस्तुति बहुत ही सुंदर ढंग से अलंकार का वर्णन किया गया है आपको बहुत-बहुत धन्यवाद