सर्वनाम किसे कहते है – सर्वनाम शब्द सर्व+नाम से मिलकर बना है। जिसमें सर्व का अर्थ है – ‘सब का’ या ‘सभी का’। जबकि नाम का अर्थ है – ‘संज्ञा’| अत: वे शब्द जो संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किये जाते है, उन्हें सर्वनाम (Sarvanam) कहा जाता है।
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सर्वनाम लेखन में एक ही नाम के बार बार आने पर उसी की शोभा बढ़ाने के लिये उसके स्थान पर प्रयोग किया जाता है। इसमें पहली बात यह है कि सर्वनाम सबके लिये प्रयुक्त होते है। जबकि दूसरी बात यह है कि सर्वनाम पूर्वा पर संबंधों के लिये प्रयुक्त होता है। तीसरी बात यह है कि पूर्वपर ओर बाद के संबांधों का ध्यान रखा जायेगा। इससे स्पष्ट है कि सर्वनाम का प्रयोग संज्ञा शब्द की पुनरावृति रोकने के लिये किया जाता है|
जैसे – राम बाजार जाता है। वह बाजार से सामान लाता है। ( इन दानों वाक्यों से स्पष्ट है कि राम के स्थान पर ‘वह’ का प्रयोग किया गया है।
राम बाजार गया। राम नौ बजे बाजार से आयेगा। राम भोजन करके कॉलेज चला जायेगा।
इन वाक्यों से अनुच्छेद बनाने से स्पष्ट है कि राम शब्द बार बार आ रहा है। इसलिये इन वाक्यों से अनुच्छेद बनाने के लिये हम सर्वनाम का प्रयोग कर सकते है। जैसे- राम बाजार गया। वह नौ बजे आयेगा और भेाजन करके कॉलेज चला जायेगा। यहां पर राम स्थान पर ‘वह’ शब्द का प्रयोग किया गया है, जो एक सर्वनाम है।
लेकिन इस वाक्य से यह भी स्पष्ट होता के वाक्यों को जोडने से पहले सर्वनाम का प्रयोग करते समय ‘पूर्वापर‘ संबंध को ध्यान में रखा गया है। पूर्वापर शब्द ‘पूर्व +अपर से मिलकर बना है। जिसमें पूर्व अर्थ होता है। बाद का, अर्थात सर्वनाम का प्रयोग किया जायेगा तो पहले और बाद के संबंधो पर ध्यान रखा जायेगा।
सर्वनाम की परिभाषा
सर्वनाम के उदाहरण
- वह घर जायेगा।
- ये मेरे हथियार है।
- हम लोग कल जायेगें।
- वे आ रहे है।
- आप जा सकते है।
इन वाक्यों से स्पष्ट है कि सर्वनाम का प्रयोग किया गया है। जो अलग – अलग है। इस प्रकार सर्वनाम के 6 भेद है।
सर्वनाम के भेद
(1) पुरुषवाचक सर्वनाम
(2) निजी वाचक सर्वनाम
(3) प्रश्न वाचक सर्वनाम
(4) सम्बन्ध वाचक सर्वनाम
(5) निश्चिय वाचक सर्वनाम
(6) अनिश्चिय वाचक सर्वनाम
पुरुष वाचक सर्वनाम किसे कहते है?
वक्ता, श्रोता, अन्य को बोध कराने वाला सर्वनाम पुरुष वाचक सर्वनाम होता है। अर्थात जो पुरुष और स्त्री के नाम के बदले प्रयोग किये जाते है, उन्हें पुरुष वाचक सर्वनाम कहा जाता है। पुरुष वाचक सर्वनाम को स्थिति के आधार पर तीन प्रकारों में बांटा गया है।
- (1) उत्तम पुरुष
- (2) मध्यम पुरुष
- (3) अन्य पुरुष
इन तीनों प्रकारों को प्रथम पुरुष, द्वितीय पुरुष और तृतीय पुरुष के नाम से भी जाना जाता है|
उत्तम पुरुष या प्रथम पुरुष
उत्तम पुरुष – वक्ता या लेखक जिन सर्वनामों का प्रयोग अपने लिये करता है, उसे उत्तम पुरुष सर्वनाम कहा जाता है।
जैसे – मैं पढ़ता हूँ। इस वाक्य में वक्ता या लेखक ने अपने लिये ‘मैं’ सर्वनाम का प्रयोग किया है।
उत्तम पुरुष सर्वनाम – मैं, हम, मैंने, हमने, मेरा, हमारा, मुझे, मुझको आदि।
उदाहरण – मैं कल कोलेज जाऊंगा।
हम लोग कल बाजर गये थे।
मुझे आप से शिकायत नहीं है।
हमारा कालेज बंद है।
मेरा भारत महान है।
मुझको उसने किताब दी।
इन वाक्यों से स्पष्ट है कि कहने वाला प्रथम या उत्तम पुरुष होता है ।
मध्यम पुरुष या द्वितीय पुरुष
मध्यम पुरुष – वक्ता या लेखक जिससे अपनी बात कहता है, उसे मध्यम या द्वितीय पुरुष कहा जाता है। जिसमे सुनने वाले व्यक्ति के लिये मध्यम पुरुष सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है| मध्यम पुरुष सर्वनाम में तू, तुम, तुमने, तुझे, तूने, तुम्हें, तुमको, तुमसे, आदि सर्वनामों से शामिल किया गया है|
लेकिन मध्यम पुरुष में दो ही मूल सर्वनाम होते है। जैसे तुम और आप | ऊपर दिये गये सर्वनाम इन्हीं का परिवर्तित रूप होते है। ‘तुम’(You Pronoun) का प्रयोग छोटे के लिये किया जाता है, जबकि ‘आप’ Sarvnam का प्रयोग बड़ों के लिये किया जाता है। जैसे –
तू कहां गया था।
आप कहां गये थे।
तुमने मेरा रास्ता रोका।
आप ने मेरा रास्ता रोका।
तुम हमारे घार आ रहे है।
आप हमारे घर आ रहे है।
आप भोजन करे। तुम कब आओगे।
अन्य पुरुष या तृतीय पुरुष
अन्य पुरुष – वक्ता या लेखक, श्रोता या पाठक जिसके बिषय मे बात करता है उसके लिये प्रयुक्त होने वाला सर्वनाम अन्य पुरुष वाचक या तृतीय पुरुष होता है । अन्य पुरुष वाचक में वह, यह, वे, ये, इन, उन, उनको, उनसे, इन्हें, उन्हें, इससे, उसको, आदि सर्वनाम शब्द आते है.
जैसे – वे कौन है।
वह दुष्ट है।
यह कलम है। ये बंदर है ।
वे कौन लोग थे।
उन्होंने परीक्ष दी।
वे कार्ट के लिये निकल गये।
उसके किसी ने पीटा।
उन्होंने स्वतंत्रता दिवस मानाया।
निजी वाचक सर्वनाम किसे कहते है?
वक्ता या लेखक जहां अपने लिये ‘आप’, अपने आप, स्वंय, खुद आदि सर्वनामों का प्रयोग करता है, उसे निजी वाचक सर्वनाम कहा जाता है।
जैसे – मैं अपने आप काम कर लूंगा । इस वाक्य में मैं प्रथम पुरुष ने ‘अपने आप’ सर्वनाम का प्रयोग अपने लिये किया है, इसलिये यह निजी वाचक सर्वनाम कहे जाते है।
उदाहरण – वह स्वंय चला जायेगा।
उसने अपना पेन रख लिया है।
उसने अपनी बाईक बेच दी है।
अपना काम स्वंय करना चाहिये।
प्रश्न वाचक सर्वनाम किसे कहते है?
प्रश्न पूछने के लिये जिन सर्वनामों का प्रयोग किया जाता है, उन्हें प्रश्न वाचक सर्वनाम कहते है| इसमें प्रश्न बोधक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। जैसे – कौन, क्या, कहां, कैसे, किसको, किससे आदि।
इन सर्वनामों का प्रयोग दो रूप में किया जाता है। (1) प्राणि बोधक (2) वस्तु बोधक। क्योंकि इन दोंनो में प्रश्न वाचक सर्वनाम अलग – अलग प्रयोग होते हैं । जैसे –
कौन शोर कर रहा है। – प्राणिबोधक
किसका घर है। – वस्तु बोधक
अन्य उदाहरण –
तुम कहां रहते हो।
कौन आया था।
दुध में क्या गिर पडा था।
वह क्या कह रहा था।
इन सभी वाक्यों में कहां, कौन, क्या, आदि प्रश्न वाचक सर्वनामों का प्रयोग किया गया है। इस प्रकार यह प्रश्न वाचक सर्वनाम किया गया है।
संबंध वाचक सर्वनाम किसे कहते है?
वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के लिये जिस सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है, उसे संबंध वाचक सर्वनाम कहा जाता है| या जिस सर्वनाम से किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध स्थापित किया जाये। उसके लिये इन सर्वनामों का प्रयोग किया जाता है। इसमें एक वाक्य दूसरे आश्रिता वाक्य पर निर्भर रहता है जैसे –
जिसकी लाठी उसकी भैंस।
जो आया है सो जायेगा।
जो देता है सो लेता है।
जो कहा गया वही करो।
उसने किया उसी को मिला।
उपरोक्त वाक्यों से स्पष्ट है कि एक सर्वनाम का संबंध दूसरे सर्वनाम से है जैसे – जो____सो, जो____वही, आदि
निश्चिय वाचक सर्वनाम किसे कहते है?
जिन सर्वनामों से किसी निश्चित वस्तु का बोध होता है, उन्हें निश्चिय वाचक सर्वनाम कहा जाता है। यह सर्वनाम दूर की और पास की वस्तुओं की भी बोध कराते हुये संकेत करते है। जैसे – यह(This), वह(That), वे(Those), ये(These), आदि।
उदाहरण –
यह अनउपयोगी साधन है।
यह भ्रष्टाचार के प्रबल विरोधी है।
यह मेरी पुस्तक है।
वह उनकी साईकिल है।
यह घर उनका है।
वे तुम्हारे आदमी है।
ये मेरे हथियार है।
इन सर्वनामों में यह, ये, पास की वस्तु का बोध कराते है। जबकि वे, वह दूर की वस्तु का बोध कराते है।
अनिश्चिय वाचक सर्वनाम किसे कहते है?
जिन सर्वनामों से किसी वस्तु की निश्चितता का बोध न हो, उन्हें अनिश्चय वाचक सर्वनाम कहा जाता है। अनिश्चय वाचक sarvanam की पहचान इन शब्दों से की जाती है। कोई, कुछ, कुछ न कुछ, कोई न कोई, सब कुछ, हर कोई, कुछ भी, कुछ कुछ, आदि।
उदाहरण –
कोई आ रहा है।
कुछ न कुछ दीजिये।
कुछ पुस्तक गायब हो गई।
कुछ लोग यहां पर खडे थे।
कोई आ गया तो क्या करोगे।
उसने कुछ नहीं लिया।
वह कुछ लाया था।
इन वाक्यों से स्पष्ट है कि मूल अनिश्चय वाचक सर्वनाम कुछ, कोई है, और सभी उनके परिवर्तित रूप है। कोई प्राणिबोधक है जबकि कुछ वस्तु बोधक है।
सर्वनामों के कुछ नियम –
- (1) किसी संज्ञा या सर्वनाम की अवधारणा निश्चित करने के लिये निजी वाचक सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है।
- (2) दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिये निजी वाचक सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है।
- (3) सर्वसाधारण के अर्थ में निजी वाचक सर्वनाम का प्रयोग किया जाता है।
- (4) स्त्री लिंग व पुरुष लिंग के आधार पर सर्वनाम में परिवर्तन नहीं होता है। जैसे – वह खाता है। वह खाती है।
- (5) वचन और कारक के आधार पर सर्वनामों का परिवर्तन होता है। जैसे – मेरा – हमारा, आप-अपने, आपको, आपके लिये,
- (6) सर्वनाम जिस संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होता है उसी के अनुसार लिंग, वचन चलते है।
- (7) पुरुष वाचक कारक चिन्ह बदलते है।
सर्वनाम का पद परिचय –
किसी भी सर्वनाम के पद परिचय के लिये उसके भेद, वचन, कारक, लिंग, तथा अन्य पदों का ज्ञान होना आवश्यक है। जैसे –
मैं बाजार जाता हूँ। इस वाक्य में ‘मैं’ एक सर्वनाम है जो उत्तम पुरुष, एक वच , पुलिंग, कर्ता कारक है।
शक्कर में कुछ पड़ा है। इस वाक्य में सर्वनाम ‘कुछ‘ एक अनिश्चय वाचक है। पुलिंग, एक वचन है।
सर्वनामों के विकारी रूप –
विभिन्न कारको में प्रयुक्त होने पर सर्वनाम शब्दों के रूप में परिवर्तित हो जाते है। सर्वनाम का प्रयोग संबोधन में नहीं होता है। इसक विकारी रूप निम्न है। जैसे –
मुझे, हमें, हमको, हमारा, तुझे, तुम्हारा, उसने, उसको, आपने, आपको, इसने, इसको, किसने, किसको,
जैसे – यह आ गई। इस वाक्य में यह सर्वनाम है।
यह किताब कैसी है। इस वाक्य में यह विशेषण है।
सर्वनाम का न होना –
- कमल सभी फूलो में सुंदरतम है।
- गरीब और अमीर में बहुत अंतर है।
- अंधा बांटे रेवणी फिर फिर अपनों को दे।
- अंत भला सो भला।
- भागते भूत की लगोटी ही सही।
- आटे के साथ घुन भी पिसता है।
नोट:- जब यह अकेले प्रयोग किये जाये तो सर्वनाम होते है जबकि किसी संज्ञा के साथ प्रयोग किये जाये तो यह विशैषण होते है।
पुरुष वाचक और निजी वाचक सर्वनाम में अंतर –
‘आप’ शब्द का प्रयोग दोनों ही सर्वनामों में होता है। किन्तु जहां पुरुष वाचक सर्वनाम में इसका प्रयोग मध्यम पुरुष में आदर प्रकट करने के लिये किया जाता है। वहीं निजी वाचक सर्वनाम में इसका प्रयोग तीनों पुरुषों में होता है।
उदाहरण –
आप हमारे घर पर पधारने का कष्ट करे। – पुरुष वाचक
मैं अपने आप चला जाऊंगा। – निजीवाचक सर्वनाम
वह अपना काम आप कर लेगा। – निजी वाचक सर्वनाम
तुम यह प्रश्न अपने आप हल करो। – निजी वाचक सर्वनाम
नोट: – कारक परसर्ग एक हो तो उसे सर्वनाम के साथ जोडकर लिखा जायेगा। जैसे – उस+को – उसको, मैने, उसने,
सर्वनाम लिंग भेद बताने मे असमर्थ होते है। संदर्भ के अनुसार लिंग का पता लगाया जाता है। जैसे – वह बीमार है। इस वाक्य यह पता नहीं चल पा रहा है। कि लिंग कौन सा है लेकिन इस वाक्य में परिवर्तन कर। जैसे – ‘वह बीमार थी। ‘ इस वाक्य में सहायक क्रिया की सहायता से लिंग का पता लगाया जा सकता है।
‘क्या’ शब्द का प्रयोग प्रश्न वाचक और क्रिया विशेषण दोनों में किया जाता है। जैसे –
तुम क्या पढ़ रहे हो। – प्रश्नवाचक सर्वनाम
क्या तुम पढ़ रहे हो – क्रिया विशेषण