मनुष्य का श्वसन तंत्र, नाक, फेफड़े, श्वसन तंत्र || swasan tantra || श्‍वसन के प्रकार

  श्‍वसन तंत्र swasan tantra मनुष्य का श्वसन तंत्र

श्‍वसन एक ऑक्‍सीकृत प्रक्रिया है जिसमें रासायनिक यौगिकों से ऊर्जा मुक्‍त होती है जिसका प्रयोग ATP के निर्माण मेें होता है। श्‍वसन प्रक्रिया के दौरान जो यौगिक ऑक्‍सीकृत होते हैं, वे श्‍वसन पदार्थ कहलाते हैं, वे श्‍वसन पदार्थ कहलाते हैं। यो कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन एवं रासायनिक अम्‍ल होते हैं। यह एक अपचयी प्रक्रिया है।

श्‍वसन के प्रकार (Type of Respiration)

वायवीय श्‍वसन : इसमें श्‍वसन पदार्थ ऑक्‍सीजन की उपस्थिति में CO2 पानी (H2O) तथा ऊर्जा में ऑक्‍सीकृत होता है।

वायवीय श्‍वसन में चार चरण होते हैं।

ग्‍लाइकोलि‍सस, क्रेब्‍स चक्र, इलेक्‍टॉन परिवहन श्रृंखला, ऑक्‍सीडेटिव फास्‍फोरिलीकरण

अवायवीय श्‍वसन : वह श्‍वसन प्रक्रिया जिसमें, श्‍वसन क्रिया CO2 एवं एल्‍कोहल अणुओं में अपूर्ण रूप से आक्‍सीकृत होती हैं। कुछ निम्‍न अणुओं में अपूर्ण रूप से ऑक्‍सीकृत होती हैं। कुछ निम्‍न कोटि के जीवों, अणुओं, यीस्‍ट तथा कुछ जन्‍तु ऊताकों में ऊर्जा के लिए ग्‍लूकोज का लैटिक अम्‍ल या एथिल एल्‍कोहॉल में आंशिक विघटन होता है। इसे अवायवीय या अनॉक्‍सी श्‍वसन कहते हैं।

मनुष्‍य में श्‍वसन दो भागों में विभाजित होता है।

  1. बाह्य श्‍वसन (External respiration) :– श्‍वासोच्‍छवास, गैसीय आदान-प्रदान
  • श्‍वासोच्‍छवास(Breathing respiration) :- यह एक शारीरिक रूप से सक्रिय प्रक्रिया है। जिसे पुन: दो भागों विभोजित किया जाता है।
  • प्रश्‍वसन या अन्‍त:श्‍वास(Inspiration) , नि:श्‍वसन या उच्‍छवसन (Expiration)

    1. आंतरिक श्‍वसन(Internal respiration) : ग्‍लाइकोलिसिस, क्रेब चक्र आक्‍सीडेटिव फास्‍फोलीकरण

    मनुष्य का श्वसन तंत्र निम्नलिखित अंगों से मिलकर बना होता है।

     नाक (Nose)

     ग्रसनी(Pharynx)

    स्वरयंत्र(Larynx)

    श्वास नली(Trachea)

    फेफड़े(Lungs)

     नाक (Nose) : – नाक श्‍वसन मार्ग का प्रथम अंग है।  ग्रसनी, पाचन व श्‍वनतंत्र दोनों के अंतर्गत आती है।   वायु ग्रसनी से होते हुए श्‍वसन नली में पहुंचती है।  श्‍वसन नली,   वक्षगुहा (THORACIC CAVITY) मैं विभाजित होकर  दो  श्‍वसनियों मैं   बंट जाती है|  इनका अंतिम छोर  वायुकोष मैं खुलता। है प्रत्‍येक वायुकोष  फेफड़ों की संरचनात्‍मक एवं  कार्यिकी इकाई होती है।

     फेफड़े(Lungs) :- मानव, मेढक, मछली, छिपकली, ऊँट तथा पशु आदि में पाया जाता है।

    वक्षगुहा में दोनों तरफ 1-1 स्पंजी,  गुलाबी और लगभग शंक्वाकार  फेफड़ा  पाया जाता है।

      बाएं फेफड़े की अवतली खांच को हृदई खांच(Cardiac Notch) कहते हैं।, जिसमें ह्रदय(Heart)  स्थिर रहता है।

    फेफड़ों तक अशुद्ध रक्त( Deoxygenated Blood)  “फुसफुस धमनी” (Pulmonary Artery द्वारा पहुंचाया जाता है। यह मानव शरीर की एकमात्र  धमनी नहीं है जिसमें अशुद्ध रक्त बहता है।

    फेफड़ों  द्वारा शुद्ध किया गया रक्त( Oxygenated Blood)  “फुसफुस शिरा’’ ( Pulmoary Vein) द्वारा ह्रदय से बाऍं आलिंद (Left Atrium) में पहुंचाया जाता है। यह मानव शरीर का एकमात्र शिरा है जिसमें शुद्ध रक्‍त बहता है। डयफ्रॉम की  उपस्थिति स्‍तनधारियों का  मूलभूत लक्षण होता है।

    • श्‍वसन (Respiration)

    श्‍वसन एक महत्‍वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें ऊर्जा का उत्‍पादन होता है।

    इस प्रकिया में सामान्‍य स्थितियों में ग्‍लूकोज का ऑक्‍सीजन की उपस्थिति में ऑक्‍सीकरण (Oxidation) होता है तथा ऊर्जा विमुक्‍त होती है। इसी कारण ग्‍लूकोज (Glucose) को कोशिकीय ईंधन (Cellular fuel) कहा जाता है।

    विषाणु की संरचना, जन्‍तु वाइरस

    श्वसन तंत्र – विकिपीडिया