संविधान के भाग 1 में क्या है, संविधान भाग 1 व 2, राज्योंं का गठन और नागरिकता प्राति
भाग-1 ‘’अनुच्छेद 1-4 तक’’
अनुच्छेद-1 :- भारत एक देश है इसके दो नाम संविधान में मिलते हैं।
- भारत 2. इण्डिया
Articale -2 :- नये राज्यों का प्रवेश या स्थापना :- श्री कृष्णा समिति की सिफारिश पर जून 2014 को तेलंगाना का 10 जिलों के साथ गठन हुआ । जिसमें विधानसभा सीटों की संख्या 119 हैं।
Article -3 :- अनये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों की सीमां क्षेत्रो तथा नामों में परिवर्तन।
संविधान के भाग 2 में क्या है? samvidhan ke bhag 2 mein kya hai
भारतीय संविधान का भाग II नागरिकता से संबंधित विभिन्न प्रावधानों से संबंधित है। भारतीय संविधान में एकल नागरिकता का प्रवधान है। जिसे ब्रिटेन के संविधान से लिया गया है। नागरिकता अधिनियम 1955 में बना।
नागरिकता प्राप्ति के प्रावधान :- जन्म के आधर पर – 26 जनवरी 1950 या उसके बाद कोई व्यक्ति भारत में जन्मा हैं तो वह भारत का नागरिक समझा जाएगा। अपवाद – विदेशियों के बच्चे, राजनायिकों के बच्चे। (a) जन्म के आधर पर (b) वंशक्रम के आधार पर (c) पंजीकरण द्वारा एक संविधान किसी देश का सर्वोच्च कानून होता है, जिसमें किसी देश में राजनीति और समाज को नियंत्रित करने वाले मौलिक नियम होते हैं।
भाग 2 में कितने अनुच्छेद हैं?
नागरिकता
(अनुच्छेद 5-11)
भारतीय संविधान में एकल नागरिकता का प्रवधान है। जिसे ब्रिटेन के संविधान से लिया गया है। नागरिकता अधिनियम 1955 में बना।
नागरिकता प्राप्ति के प्रावधान :- जन्म के आधर पर – 26 जनवरी 1950 या उसके बाद कोई व्यक्ति भारत में जन्मा हैं तो वह भारत का नागरिक समझा जाएगा। अपवाद – विदेशियों के बच्चे, राजनायिकों के बच्चे। (a) वंशक्रम के आधार पर (b) पंजीकरण द्वारा (c) जन्म के आधर पर
भाग 2 में कितने अनुच्छेद हैं?
नागरिकता भाग-2 ‘’अनुच्छेद 5-11’’
भारतीय संविधान में एकल नागरिकता का प्रवधान है। जिसे ब्रिटेन के संविधान से लिया गया है। नागरिकता अधिनियम 1955 में बना।
भारत की नागरिकता कितने तरीकों से प्राप्त की जाती है?
नागरिकता प्राप्ति के प्रावधान :- जन्म के आधर पर – 26 जनवरी 1950 या उसके बाद कोई व्यक्ति भारत में जन्मा हैं तो वह भारत का नागरिक समझा जाएगा। अपवाद – विदेशियों के बच्चे, राजनायिकों के बच्चे।
वंशक्रम के आधार पर – भारत के बाहर जन्मा व्यक्ति यदि उसके माता-पिता भारतीय नागरिक हो तो वह भारतीय नागरिक कहलाएगा।
पंजीकरण द्वारा – वे पुरूष जो भारतीय महिला से विवाह किया हो और न्यनतम 5 वर्ष भारत में रहा हो उसे नागरिकता दी जाएगी। वे स्त्रीय जो भारतीयों से विवाह कर चुकी हो उन्हें भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है। भारतीय नागरिकों के नावालिक बच्चे अन्यथा राष्ट्रमण्डल राष्ट्रों के वयस्क व्यक्ति भारतीय नागरकिता ग्रहण कर सकते हैं।
देशीकरण द्वारा – कोई भी विदेशी वयस्क भारत सरकार देशीकरण का प्रमाण पत्र प्राप्त करने का आवेदन देता है। निर्दिष्ट शर्तें पूरी करने तथा देश भक्ति की शपथ लेकर वह नागरिकता के लिए आवेदन दे सकता है। पूर्णत: संतुष्ट होने पर भारत सरकार नागरिकता का प्रमाण पत्र दे सकती है। किसी क्षेत्र के भारत में समाहित होने पर भारतीय नागरिकता स्वत: ही मिल जाती है।
नागरिकता कितने प्रकार से छीनी जा सकती है?
नागरिकता समाप्ति के प्रावधान :-कोई भी व्यक्ति अगर दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर ले तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वत: ही समाप्त हो जायेगी।
संसद द्वारा – अगर कोई व्यक्ति युद्ध के समय दूसरे देश की मदद करता है तो देश की नागरिकता समाप्त कर दी जाती है। तो उसे देश द्रोही घोषित कर दिया जाता है।
वंचित करने पर :- पंजीकृत तथा देशीकरण नागरिक को भारत सरकार आदेश द्वारा नागरिकता से वंचित किया जा सकता है। इसे निम्न आधार हैं।
भारत से लगातार 7 वर्ष तक बाहर रहने पर।
भारतीय महिला द्वारा विदेशी नागरिक से विवाह करने पर ।
देशीकरण या पंजीकरण द्वारा किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करने पर या किसी अन्य देश द्वारा दो वर्ष की सजा देने पर।
क्या भारत में दोहरी नागरिकता है?
दोहरी नागरिकता संवंधी प्रावधान
राष्ट्रहित में भारत सरकार किसी व्यक्ति को दे नागरिकता स्वीकार करने की अनुमति दे सकती है जैसे – सांस्कृतिक राजदूत के आधार पर अमिताभ बच्चन, ऐश्वरा राय, सुष्मिता सेन तथा राजनैतिक शरण दलाई लामा को दोहरी नागरिकता दी जाती है।
संविधान के भाग 1 में क्या है
राज्यों का गठन भाग -1
राज्यों के गठन के संन्दर्भ में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इलाहबाद विश्व विद्यालय के रिटायर्ड प्रो. न्यायधीश की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय आयोग का गठन किया और इस आयोग ने अपना सुझाव दिया कि राज्यों का गठन भाषाई आधार पर नहीं होना चाहिए। गठन का आधार प्रशासनिक कार्य कुशलता पूर्वक होना चाहिए। इस आयोग के अध्यक्ष एस. के. धार थे। राज्यों के गठन के संदर्भ में कॉग्रेस के जयपुर अधिवेशान में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी ने जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल तथा बी. पट्टाभिसीता रमैया थे। इस समिति ने राज्यों के गठन के संदर्भ में एस. के धर आयोग का समर्थन किया।
1912 में स्वतंत्रता से पहले भाषाई आधार पर गठित होने वाला राज्या बिहार था। इसके बाद असम भी था।
1952 में आंध्र प्रदेश के श्री रामल्लू ने 56 दिन की भूख हडताल की और इनका निधन हो गया। इनके निधन के बाद 1953 में आंध्रप्रदेश को भाषाई आधर पर गठित किया गया। यह स्वतंत्रता के बाद भाषाई आधार पर गठित होने वाला भारत का प्रथम राज्य है।
भारत में राज्यों का पुनर्गठन कब कब हुआ?
राज्य पुनर्गठन आयोग 1953 में गठित किया गया। – जिसने अपनी रिपोर्ट 1955 में सौंपी थी। इस आयोग में तीन सदस्य थे- 1. मेयर फजल अली 2. पं. ह्रदयनाथ कुंजरू 3. के. एम. पणिक्कर इस आयोग की अनुशंसा पर 1956 में भारत में 14 राज्य एवं 6 केन्द्र शासित राज्यों का गठन किया गया। इनमें मध्य-प्रदेश भी शामिल था। 1960 में भाषाई आधार पर गुजरात और महाराष्ट्र दो प्रथक राज्य बनाये गये। महाराष्ट्र से गुजरात को अलग किया गया।
कौन सा राज्य कब बना?
1963 में नागालैण्ड की स्थापना हुई जिसे असम से अलग किया गया।
1966 में हरियाणा राज्य की स्थापना हुई जिसे पंजाब राज्य से अलग किया गया।
1971 में हिमाचल प्रदेश की स्थापना हुई।
1972 में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा की स्थापना हुई।
36 वॉ संविधान संशोधन 1975 में सिक्किम को 22 वॉ राज्य बनाया गया।
फरवरी 1987 में अरूणाचल प्रदेश, और मिजोरम की स्थापना हुई।
गोवा पुर्तगालियों से कब आजाद हुआ
मई 1987 में गोवा, 25 वॉ राज्य बनाया गया। सन् 1961 में पुर्तगालियों से गोव व दमन द्वीव को आजाद कराया गया।
1 नवम्बर 200 को छत्तीसगढ को 26 वॉ राज्य बनाया जो कि मध्यप्रेश के 16 जिलों के साथ अलग कर बनाया गया।
9 नवम्बर 2000 को उत्तर प्रदेश से 27 वॉ राज्य उत्तराखण्ड बनाया गया।
15 नबम्वर 200 में बिहार से झारखण्ड को 28 वॉ राज्य बना।
29 वां राज्य कब बना?
2 जून 2014 को तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग कर बनाया गया। इसमें 10 जिले शामिल हैं।