मनुष्य में विषाणु जनित रोगों के नाम
विषाणुओं के कारण होने वाले रोग (Deseases caused by Viruses )
विषाणु परजीवी होते हैं। इसीलिये यह संक्रमण के दौरान जीवों में अनेक प्रकार के रोग उत्पन्न करते हैं।
विषाणु की संरचना ||structure of Virus
विषाणुओं के कारण मनुष्यों में होने वाले रोग
इन्फ्लुएंजा, जुकाम, खसरा, चेचक, लसूजा, पीलिया इत्यादि
विषाणुओं के कारण जन्तुओं में होने वाले रोग
मिक्सोमेटोसिस(खरगोश में), रेबीज(कुत्तों में), के.एफ.डी.(बन्दरो में), फुट एण्ड माउथ रोग (पशुओं में)
विषाणुओं के कारण पौधों में होने वाले रोग
तम्बाकू मोजेक, पपते का मोजेक, पपीत का कुंचित पर्ण, भिण्डी का पीली नाड़ी मोजेक इत्यादि
मनुष्य में विषाणु जनित रोगों के नाम
क्र. | रोग | विषाणुओं के नाम | प्रभावित अंग | लक्षण |
1 | एड्स | एच.आइ.वी. | प्रतिरक्षा प्रणाली | रोग प्रतिरोधक क्षमता का नष्ट होना |
2 | खसरा | मॉर्बिली वायरस | त्वचा, श्लेष्मकला | नेत्रों में जलन, ऑख व नाक से पानी बहना |
3 | डेंगू (हड्डी तोड़ बुखार) | अरबो वायरस | सम्पूर्ण शरीर | आँख, पेशियाँ, सिर, तथा जोड़ों में दर्द |
4 | चेचक | वैरिओला वायरस | सम्पूर्ण शरीर | तेज बुखार, शरीर पर लाल दाने |
5 | गलफली/गलशोथ | पैराथाइरायड ग्रंथि | ज्वर एवं मुह खोलने में दिक्कत | |
6 | हर्पीज | हर्पीज वायरस | त्वचा, श्लेष्मकला | त्वचा में जलन, बेचैनी, शरीर पर फोड़े |
7 | पोलियो | पोलियो वायरस | तंत्रिका तंत्र | मांसपोशियाँ के संकुचन में अवरोध तथा हाथ व पैरों में लकवा |
8 | ट्रेकोमा | नेत्र | नेत्रों में सूजन, जलना तथा पानी बहना | |
9 | हेपेटाइटिस(पीलिया) | यकृत | आँख, त्वचा, पेशाब का पीला होना | |
10 | रेबीज | रैब्डो वायरस | तंत्रिका तंत्र | ज्वर, पानी से भय, पागलपन, श्वसनतंत्र में लकवा |
11 | मेनिनजाइटिस (एन्सेफलाइटिस) | मस्तिष्क | ज्वर, बेचैनी, दृष्टि दोष, बेहोशी | |
12 | एन्फ्लूएन्जा | मिक्सवाइरस | सम्पूर्ण शरीर | ज्वर, सिरदर्द, जुखाम, खांसी |
विषाणुओं का संचरण (Transmission of Virus)
विषाणु-जन्य रोग संक्रमण होते हैं अर्थात एक पोषी से दूसरे पोषियों पर फैलते जाते हैं। विषाणुओं का संचरण अनेक विधियों से होता हैं जिनमें से कुछ निम्न हैं-
1. विषाणु वाले दूषित जल को पीने से
2. रोगवाहकों (Vectors) द्वारा-उदाहरणत: अनेक कीट रोकग्रस्त जीवों से भरी मात्रा में विषाणु कणों को ले जाकर स्वस्थ जीवों में क्षेपित (inject) एक देते हैं।
3. रोपन(grafting), बीजों, पराग कणों द्वारा।
4. वस्त्रों, इंजेक्शन की सीरिज(सूई, उपकरणों, यान्त्रों, सामूहिक प्रसाधनों(Tiolets) इत्यादि के द्वारा।
5. वाइरस रोग से ग्रस्त जीवधारी एवं स्वस्थ जीव के बीच लैंगिक अथवा अलैंगिक सम्पर्क से।
6. रोगियों द्वारा खांसने अथवा छींकने पर उत्पन्न म्यूकस की सूक्ष्म बूंदों (Droplets) को सांस के साथ अन्दर ले लेने से।
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विषाणुओं के उपयोग (Uses of Viruses)
विषाणुओं का उपयोग अन्य बहुत सी लाभदायक पदार्थों में किया जाता है। जैसे –
साइनोफजो (वे विषाणु जो साइनोबैक्टीरिया अर्थात नीलहरित शैवाल में रोग उत्पन्न करते हैं)
बैक्टीरियोफेज का उपयोग हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने के लिये किया जाता है।
बैक्टीरियोफेज की सहायता से जीवाणुओं के विभिन्न विभेदों (Strains) को पहचाना जा सकता है।
यदि कोई मानवीय रोग विश्व के बृहत क्षेत्र में फैलता है, तो उसे क्या कहते हैं?
(a) पेंडेमिक
(b) एपिडेमिक
(c) एंडेमिक
(d) एपिज़ूटिक यू.पी.पी.सी.एस. (प्री) (पुनः परीक्षा) 2015
उत्तर – (a)
जब कोई रोग किसी विशेष क्षेत्र या जनसंख्या में स्थायी रूप से विद्यमान रहता है, तो ऐसी स्थिति एंडेमिक कहलाती है। जब कोई संक्रामक रोग किसी निश्चित जनसंख्या में बड़ी संख्या में लोगों में कम समय में तेजी से फैलता है, तो ऐसी स्थिति एपिडेमिक कहलाती है। ऐपिडेमिक स्थिति का ही विश्व के बृहत क्षेत्र में विस्तार पेंडेमिक कहलाता है।
निम्न में से किस सेट में सारी विषाणु जनित बीमारियां हैं?
(a) तपेदिक, हर्पीज़, रेबीज़
(b) मम्स, रेबीज़, हर्पीज़
(c) कैंसर, तपेदिक, पोलियो मायलाइटिस
(d) छोटी माता, कैंसर, तपेदिक उत्तराखंड पी.सी.एस. (मेन्स) 2002
उत्तर-(b)
मम्स या कण्ठमाला रोग एक विषाणुजनित रोग है, जिसमें पैरोटिड ग्रंथि कष्टदायक रूप से बड़ी हो जाती है। रेबीज़ भी विषाणुजनित रोग है, हर्पीज़ रोग का कारक भी विषाणु है।
पोलियो के टीके की खोज किसने की-
(a) अलेक्जेंडर फ्लेमिंग
(b) जोनॉस साल्क
(c) रॉबर्ट कोच
(d) एडवर्ड जेनर यू.पी.पी.सी.एस. (पूर्व) 1991
उत्तर-(b)
पोलियो के टीके (Polio Vaccines) की खोज सर्वप्रथम जोनॉस साल्क ने वर्ष 1952 में की। पोलियो बच्चों में होने वाला एक अत्यन्त घातक रोग है, जिसमें ये विकलांग हो जाते हैं। ध्यातव्य है कि यह रोग पोलिय विषाणु (Polio virus) द्वारा होता है, जिससे प्रभावित होने वाला अंग केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System – CNS) है।
पोलियो का वायरस शरीर में प्रवेश करता है-
(a) मच्छर काटने से –
(b) दूषित भोजन तथा जल से
(c) थूक से
(डी) कुत्ते के काटने पर यू.पी.पी.सी.एस. (पूर्व) 1993 उत्तराखंड पी.सी.एस. (पूर्व)
उत्तर-(b)
पोलियो (Polio) एक संक्रामक रोग है, जो कि पोलियोमेलाइटिस विषाणु द्वारा होता है। इसमें रोगकारक जीव का संचरण दूषित भोजन तथा जल द्वारा होता है एवं इससे प्रभावित होने वाला अंग तंत्रिका तंत्र (Nervous System) है। यह विषाणु (Virus) मस्तिष्क तथा • मेरुरज्जु (Spinal Cord) में पहुंचकर तंत्रिका ऊतकों को नष्ट कर • देता है। परिणाम यह होता है कि मस्तिष्क पेशियों को कार्य करने का जो निर्देश देता है, उसे तंत्रिकाएं उन तक पहुंचाने में अक्षम हो जाती हैं और पैरों में पक्षाघात (Paralysis) हो जाता है।
पोलियो का कारण है?
(a) जीवाणु द्वारा
(c) कीटों द्वारा
(b) विषाणु द्वारा
(d) कवक द्वारा U.P.P.C.S. (Mains) 2007
उत्तर-(b) विषाणु द्वारा
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